Shayari Secrets

इस शे’र में कई अर्थ ऐसे हैं जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वसीम बरेलवी शे’र में अर्थ के साथ कैफ़ियत पैदा करने की कला से परिचित हैं। ‘जहाँ’ के सन्दर्भ से ‘वहीं’ और इन दोनों के सन्दर्भ से ‘मकाँ’, ‘चराग़’ के सन्दर्भ से ‘रौशनी’ और इससे बढ़कर ‘किसी’ ये सब ऐसे लक्षण हैं जिनसे शे’र में अर्थोत्पत्ति का तत्व पैदा हुआ है।

इस शे’र में कई अर्थ ऐसे हैं जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वसीम बरेलवी शे’र में अर्थ के साथ कैफ़ियत पैदा करने की कला से परिचित हैं। ‘जहाँ’ के सन्दर्भ से ‘वहीं’ और इन दोनों के सन्दर्भ से ‘मकाँ’, ‘चराग़’ के सन्दर्भ से ‘रौशनी’ और इससे बढ़कर ‘किसी’ ये सब ऐसे लक्षण हैं जिनसे शे’र में अर्थोत्पत्ति का तत्व पैदा हुआ है।

In adore poetry, poets for example Parveen Shakir and Wasi Shah have immortalized the power of love. Their verses resonate with people of each age mainly because they delve in the depths of yearning, want, and grief.

दुनिया में प्यार के बदले प्यार कब मिलता है

گلزار ہست و بود نہ بیگانہ وار دیکھ گلزار ہست و بود نہ بیگانہ وار دیکھ ہے دیکھنے کی چیز اسے بار بار دیکھ آیا ہے تو جہاں میں مثال شرار دیکھ دم دے نہ جائے ہستیٔ نا پائیدار دیکھ مانا کہ تیری دید کے قابل نہیں ہوں میں تو میرا شوق دیکھ مرا انتظار دیکھ کھولی ہیں ذوق دید نے آنکھیں تری اگر ہر رہ گزر میں نقش کف پائے یار دیکھ علامہ اقبال

Because the ghazal is a classy sort of art, it lends alone very effectively to capturing the complexity of love.

अब आइए शे’र के भावार्थ पर प्रकाश डालते हैं। दरअसल शे’र में ‘चराग़’, ‘रौशनी’ और ‘मकाँ’ की Shayari एक लाक्षणिक स्थिति है। चराग़ रूपक है नेक और भले आदमी का, उसके सन्दर्भ से रोशनी रूपक है नेकी और भलाई का। इस तरह शे’र का अर्थ ये बनता है कि नेक आदमी किसी ख़ास जगह नेकी और भलाई फैलाने के लिए पैदा नहीं होते बल्कि उनका कोई विशेष मकान नहीं होता और ये स्थान की अवधारणा से बहुत आगे के लोग होते हैं। बस शर्त ये है कि आदमी भला हो। अगर ऐसा है तो भलाई हर जगह फैल जाती है।

कहाँ शब्दों का वजन कहाँ है मेरे दोस्त की खूबसूरती۔

शे’र के शाब्दिक अर्थ तो ये हो सकते हैं कि चराग़ अपनी रौशनी से किसी एक मकाँ को रौशन नहीं करता है, बल्कि जहाँ जलता है वहाँ की Shayari फ़िज़ा को प्रज्वलित करता है। इस शे’र में एक शब्द 'मकाँ' केंद्र में है। मकाँ से यहाँ तात्पर्य मात्र कोई ख़ास घर नहीं बल्कि स्थान है।

उदास दिल की कहानियाँ कलम नहीं लिख सकती

Just despatched the most effective line from this web site to my fiancé! Here is the best selection for when you can't obtain the correct words you. Pure romance!

शब्द खोज हलचल आज का शब्द आज का विचार सोशल मीडिया मेरे अल्फ़ाज़ किताब समीक्षा हमारे कवि वीडियो रचना भेजिए

हमारे साथ जो होता है वह बिल्कुल अच्छा नहीं होता۔

शैलेन्द्र : फ़िल्म 'तीसरी क़सम' की शूटिंग का एक नायाब क़िस्सा

आदिल शाह: वो एक लम्हा कि जिस में मिला था तू मुझ से

یہ دسمبر کی راتیں، ادھوری کہانیاں یہ دسمبر کی راتیں، ادھوری کہانیاں،

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *